आज-कल की बढ़ती महंगाई और हमारे गलत खान-पान (जंक फ़ूड) की आदतों को मद्दे नज़र रखते हुए, स्वास्थय बीमा (हेल्थ इन्शुरन्स) लेना आवश्यक हो गया है। स्वास्थय बीमा ना ही केवल हमारे अस्पताल के खर्चे उठाएगा बल्कि हमारी दवा, एम्बुलेंस का खर्चा भी उठाएगा। इससे केवल हमारी वित्तीय सहायता ही नहीं बल्कि सर-दर्दी भी कम होगी। परन्तु अगर बीमा लेने के बाद भी, बीमा कंपनी हमारा क्लेम ख़ारिज (रिजेक्ट) कर दे तो? क्लेम ख़ारिज से बचने के लिए हमें समझना ज़रूरी है कि वह किन कारणों से ख़ारिज होता है।
बीमा ख़ारिज होने के 5 कारण
1. पहले से हुई बीमारियों की जानकारी छिपाना
अगर आपने विद्यमान (एक्सिस्टिंग) बीमारियों की जानकारी जैसे डायबिटीज, थाइरोइड, हाइपरटेंशन आदि, अपनी बीमा कंपनी को बीमा पॉलिसी लेते वक्त नहीं बताया तो क्लेम के समय कंपनी पैसे देने को मना कर सकती है। इसलिए पॉलिसी लेते वक्त अपनी कंपनी को अपने स्वास्थय से जुड़े सारे फैक्ट्स सच्चाई पूर्वक बताएँ।
2. डॉक्यूमेंट गलत या पूरे ना जमा करना
क्लेम के समय ध्यान रखे कि आप सही कागज़ (डाक्यूमेंट्स) जमा कर रहे है या नहीं। अधूरे या गलत डाक्यूमेंट्स जमा करने से भी क्लेम रिजेक्ट (खारिज) हो सकता है।
3. प्रीमियम (क़िस्त) सही समय पर ना भरना
प्रीमियम हमेशा डियू डेट के अंदर-अंदर जमा कर देना चाहिए। कंपनी आपको 15 दिन का ग्रेस पीरियड भी देती है। अगर आप इस बीच पैसा नहीं देते तो आपकी पॉलिसी लैप्स (रद्द) हो सकती है और क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। प्रीमियम समय से भरें।
4. बेवजह अस्पताल में भर्ती होना
जो इलाज घर बैठे हो सकता हो, वही इलाज अगर आप अस्पताल में भर्ती होकर करते है, तो उसका क्लेम आपका ख़ारिज हो जाएगा। बिना वजह के अस्पताल में भर्ती होने का खर्चा आपको खुद उठाना पड़ेग। ध्यान रखे, जब ज़रूरी हो और आपका डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती होने को बोले, तभी होऐं।
5. बढ़ा-चढ़ाकर क्लेम मांगना
कंपनी आपको उतना ही क्लेम देगी जितना असलियत में खर्च हुआ हो। अगर आप अधिक का लालच करोगे तो आपका क्लेम ख़ारिज (रिजेक्ट) हो सकता है। इसलिए क्लेम उतना ही माँगना चाहिए जितना असलियत में खर्च हुआ हो।
पढ़ें कैसे इन्सुरेंस समाधान ने एक जेन्युइन स्वास्थ्य बीमा के रिजेक्टेड क्लेम का पैसा दिलाने में सहायता करी –
श्री प्रेमनाथ जाधव जी की पत्नी को काफ़ी ज़्यादा बुखार, चिल्स (ठंड) और उल्टी हुई। दो – तीन दिन तक अपना घर पर ही इलाज करने के बाद भी, उन्हें आराम नहीं हुआ। डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी। उन्होंने कुछ समय अस्पताल में अपना इलाज कराया। श्री प्रेमनाथ जाधव जी ने इसकी जानकारी, अपनी बीमा कंपनी को क्लेम नोटिस देते हुए करी। उन्हें उम्मीद थी कि उनका क्लेम का पैसा उन्हें जल्द ही मिल जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। कंपनी ने उन्हें रिजेक्शन पत्र देते हुए , उनका क्लेम ख़ारिज (रिजेक्ट) केर दिया।
रेजेस्टिव पत्र में लिखा था कि जाधव जी की श्रीमती जी को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता थी ही नहीं। इस कारण से कंपनी ने उनका क्लेम ख़ारिज कर दिया।
प्रेमनाथ जी ने अपनी पत्नी के जेन्युइन क्लेम के लिए, एड़ी- चोटी का ज़ोर लगाया मगर वें असफल रहें। तभी उन्हें इन्सुरेंस समाधान के बारे में पता चला और उन्होंने हमें संपर्क करा। हमने उनका मामला समझने और जांच-पड़ताल करने के बाद स्वीकारा। फिर हमारी टीम ने जाधव जी को मार्गदर्शक देकर उनकी सहायता करी और उन्हें उनका क्लेम का पैसा दिलाया।
हमने ऐसे कईं पीड़ित लोगों की बीमा से सम्बंधित शिकायतों का हल निकालने में सहायता करी हैं। अगर आपको भी अपने बीमा से समन्धित कोई परेशानी या शिकायत है तो हमे संपर्क करे। हमें आपकी मदद करने से बहुत ख़ुशी मिलेगी।
अगर आपको भी कोई बीमा से सम्बंधित कोई समस्या या शिकायत है तो हमें संपर्क करें। हमने 14500 से भी ज़्यादा लोगों की बीमा से सम्बंधित शिकायतों (क्लेम रिजेक्शन (ख़ारिज), इन्शुरन्स मिस-सेल्लिंग (गलत बीमा बेचा गया), क्लेम मिलने में विलम्ब, अधूरा क्लेम (पार्शियल क्लेम) मिलना आदि) का समाधान निकलने में मद्द करी है । हमे आपकी सहायता करने में भी ख़ुशी मिलेगी।
*इन्सुरेंस समाधान एक प्राइवेट आर्गेनाइजेशन है। इसका भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) से कोई लेना देना नहीं है।
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